“इबादत और दरद” मेरी हर इबादत का ये ख़ूबसूरत अंजाम मिला,चले जिस भी राह पर, महबूब का ही बस नाम मिला। फिरा दर-ब-दर, इस क़दर ज़ख़्म दिए ख़ुद को…रब ने पूछा, क्या दिल के दर्द को अब आराम मिला? हर शाम तेरी यादों का एक मेला सज गया,अंधेरों में भी तेरा चेहरा मुझको हर शाम […]